(Article) प्लास्टिक मुद्रा के प्रयोग से जुड़ी चुनौतियाँ (Challenges related to the use of plastic currency)

(Article) प्लास्टिक मुद्रा के प्रयोग से जुड़ी चुनौतियाँ (Challenges related to the use of plastic currency)

https://bankexamportal.com/sites/default/files/dr-saket-sahay.jpgतकनीक, जोखिम और परिवर्तन को एक ही सिक्के के दो पहलू माना जा सकता है। इतिहास गवाह है कि दुनि या के तमाम बड़े परिवर्तन बदलती आवश्यकता के परिप्रेक्ष्य में समय, तकनीक एवं आवश्यकता के समन्वय के आधार पर हुए हैं और अधिकांश परिवर्तनों के साथ मानवीय सुविधा एवं समन्वय जुड़े हुए होते हैं। बीते दशक की बैंकिंग भी इन ऐतिहासिक बदलावों, परिवर्तनों से अछूती नहीं रही है। यह बैंकिंग तकनीक में आए बदलाव का ही असर है कि आज बैंकिंग सेवा किस ी-न-किस ी रूप में 24x7 उपलब्ध है। इन बदलावों, परिवर्तनों से बैंकिंग सेवा में हर रोज नए बदलाव परिलक्षित हो रहे हैं, जिससे आम जनता के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था भी लाभान्वि त हो रही है।

हम सभी इस तथ्य से परिच ित हैं कि विकसित अर्थव्यवस्था की पहली पहचान है नकदी विहीन अर्थव्यवस्था , क्योंकि यह काले धन के प्रवाह को नि यंत्रित करती है। साथ ही, देश की कर-व्यवस्था को मजबूती प्रदान करती है। जैसे-जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था विकासशील से विकसित होने की ओर अग्रसर हो रही है, यहाँ नकदी विहीन अर्थव्यवस्था एवं भुगतान व्यवस्था को एकीकृत करने पर जोर दिया जा रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था में प्लास् टिक मुद्रा यानि डेबिट /क्रेडिट कार्ड के प्रयोग पर जोर दिया जा रहा है। युवा वर्ग भी प्लास् टिक मुद्रा के इस्तेमाल में अधिक सुविधा का अनुभव करता है। इसी का नतीजा है कि आज सभी बैंक ग्राहकों को प्लास् टिक मुद्रा प्रयोग करने पर जोर दे रहे हैं। नकदी के बि ना किए जाने वाले लेन-देन के लि ए भी इन कार्डों का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। इन सभी का एकमात्र सार है: आधुनि क युग में प्लास् टिक मुद्रा या इलेक् ट्रॉनि क मुद्रा, वास्तविक मुद्रा का मजबूत विकल्प बनते जा रहे हैं।

बीते 08 नवंबर, 2016 को कें द्र सरकार द्वा रा भ्रष्टाच ार, कालाधन और जमाखोरी जैसी समस्या ओं से छुटकारा पाने हेतु घोषित की गई विमुद्रीकरण या अखबारी शब्दों में कहें तो नोटबंदी ने बैंकिंग सेवा का एक नया रूप पेश किया है। देश में 1000 और 500 रूपए के नोट बंद होने पर हर तरफ मचे हड़कंप से नि पटने में बैंकिंग क्षेत्र ने कारगर भूमि का नि भाई है। नोटबंदी की वजह से नगदी की समस्या से जूझ रही जनता को भी प्लास् टिक मुद्रा के रूप में बेहतर विकल्प दिख ाई दिया। यही कारण है कि सरकार भी इस विकल्प को अपनाने पर ज्या दा जोर दे रही है। पर, इस काम में कई बड़ी चुनौतियाँ हैं। बड़े शहरों में तो प्लास् टिक मुद्रा का चलन है लेकिन छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अभी भी इसके इस्तेमाल से कतराते हैं। सरकार ने बैंकिंग से जुड़ी कई महत्वा कांक्षी योजनाओं की शुरूआत की है, जिससे आम जनता को बैंकिंग की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। इसके बावजूद भारत में प्लास् टिक मुद्रा को जन-जन तक पहुंचाने के लि ए अभी कई बड़ी चुनौतियाँ हैं। साइबर क्षेत्र के विशेष ज्ञों के मुताबि क, प्लास् टिक मुद्रा हो या फि र डिजिट ल लॉकर - इन सभी में सूचना की सुरक्षा एक प्राथमि क जरूरत है।


आर्थि क मामलों के जानकारों के मुताबि क प्लास् टिक मुद्रा की प्राथमि क जरूरत एटीएम, कार्ड स्वैपिगं मशीन, अच्छी इंटरनेट स्पी ड और सुरक्षा के फीचर्स हैं। अगर समुचित संसाधनों की पूर्ति होगी तो शहरी ही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग इसे स्वी कारेंगे। विशेष ज्ञों के मुताबि क, इनके प्रयोग से कई बड़ी चुनौतियाँ जुड़ी हुई हैं। ऐसे में बैंकिंग की इस नई सुविधा के प्रति लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। इन कार्डों के प्रयोग में वृ ी से जुड़ी सबसे प्रमुख चुनौती है, प्लास् टिक मुद्रा पर आसानी से विश्वास नहीं करना तथा इससे जुड़ी कई प्रकारकी भ्रां तिया रखना। प्लास् टिक मुद्रा भले ही लेन- देन हेतु एक सुविधाजनक माध्यम है। साथ ही, धोखाधड़ी एवं जालसाजी इन कार्डों के व्या पक प्रयोग वृ ी में एक बड़ी समस्या है। इसके बढ़ते प्रयोग के साथ-साथ इससे जुड़े जोखिम भी बढ़ते जा रहे हैं। प्रस्तुत आलेख में हम उपर्युक्त वजहों को विस्ता र से समझने का प्रयास करेंगे।

प्लास्टिक मुद्रा का कम इस्तेमाल

जनधन योजना से अधिकतर लोगों तक बैंकिंग सुविधा पहुंचाने के बावजूद देश में डेबिट और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने वालों की संख्या कम है। भारतीय रिज़र्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबि क वर्ष 2016 की शुरूआत तक देश में लगभग 23 करोड़ क्रेडिट कार्ड धारक हैं जबकि डेबिट कार्ड की पहुंच 64 करोड़ लोगों तक ही है। आंकड़ों से जाहि र है कि प्लास् टिक मुद्रा का चलन सीमि त है।

25 फीसदी लोग बैंक से दूर

रिपोर्ट के मुताबि क भारत में 75 फीसदी लोग बैंक खाताधारक हैं जो कि बैंकिंग सेवा का प्रत्यक्ष रूप से बैंक में जाकर पैसा नि कालने और जमा करने के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों को प्लास् टिक मुद्रा की तरफ मोड़ना बहुत बड़ी चुनौती है। नोटबंदी की घोषणा के समय मे भी सरकार ने इस तथ्य को महसूस किया। 500 और 1000 के नोटों को बदलवाने की बजाय अगर जनता केवल अपनी जरूरत के हिस ाब से पैसा बदलती और बाकी पैसा अपने खाते में जमा करती, तो विमुद्रीकरण के समय उत्पन्न आसन्न संकट से एक हद तक बचा जा सकता था। लोग अपनी मेहनत से जमा किए गए पैसे को बदलवाने के लि ए घबरागए। अगर ऐसे लोग अपने खाते का महत्व समझते तो इन पैसों को अपने खाते में जमा कर सकते थे और प्लास् टिक मुद्रा यानि एटीएम के अलावा पीओएस, मनी ट्रांस फर या पेटीएम के विकल्प का प्रयोग कर सकते थे। हालांकि इसके प्रयोग से दूसरी चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं, जिस पर चर्चा हम आगे के उ रणाें में करेंगे।

नेट बैकिंग की समझ होना

देश भर में लोग ऑनलाइन बैंकिंग को अभी भी शक की नजरों से देख ते हैं। ये लोग पैसों के लेनदेन के लि ए अपने पारंपरिक तरीकों जैसे चेक, ड्राफ्ट और कैश इस्तेमाल करते हैं। देश में कुल सक्रि य बैंकिंग सेवा धारकों में से 7 फीसदी लोग ही ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं।

स्वै पिगं की सुवि धा का सीमित होना

भारतीय रिज़र्व बैंक के आंकड़ों के मुताबि क देश भर में वर्ष 2016 के शुरूआत तक सभी व्या वसायि क बकैं ों ारा कु ल 12,36,933 स्वैपि गं मशीन जारी किए गए थे; जो कि अधिकतर टि यर-1 और टि यर-2 शहरों में लगे हुए हैं।स्वैपिगं मशीन की कम उपलब्धता भी प्लास् टिक मुद्रा के इस्तेमाल में एक बड़ा रोड़ा है।

धोखाधड़ी और जाल साजी का डर

देश में बैकिंग की नई टेक्नो लॉजी को लेकर अभी भी कई प्रकार की भ्रां तियां हैं, जिससे लोग ऑनलाइन बैंकिंग और प्लास् टिक मुद्रा पर आसानी से विश्वास नहीं करते। बैंकिंग की नई सुविधाओं के साथ लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। धोखाधड़ी एवं जालसाजी इन कार्डों के प्रयोग में बहुत बड़ी बाधा है। प्लास् टिक मुद्रा लेनदेन हेतु एक सुविधाजनक माध्यम है। इसके बढ़ते प्रयोग के साथ-साथ इससे जुड़े जोखिम भी बढ़ते जारहे हैं। इन जोखिमों में शामि ल हैं- क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड के प्रयोग से संबंधित धोखाधड़ी। इसी जोखिम की कड़ी में हाल में देश भर में तकरीबन 32 लाख एटीएम के पि न चोरी होने की आशंका की खबरों से डेबिट कार्ड की सुरक्षा को लेकर नए प्रश्न उभरे हैं, जो क्रेडिट कार्ड के मुकाबले कहीं ज्या दा सुरक्षित माने जाते थे।

 भारत में सभी तरह की खुदरा भुगतान प्रणालि यों का शीर्ष संगठन, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान नि गम (एनपीसीआई) के अनुसार चोरी किए गए एटीएम- डेबिट कार्ड के डेट ा की मदद से 19 बैंकों के 641 ग्राहकों को साइबर अपराधियों ने 1.3 करोड़ रूपए का चूना लगाया। यह मामला इसलि ए भी उल्लेख नीय है कि इसमें ग्राहक की बि ना गलती के एटीएम- डेबिट कार्ड डेट ा चुरा कर बड़े पैमाने पर भारत में धोखाधड़ी का पहला मामला सामने आया। ज्ञात हो कि इसमें उन्नीस बैंकों के एटीएम -डेबिट कार्ड के डेट ा चुराने की खबर अखबारों में आई थी। यह खबर पि छले अक्टूबर, 2016 में तब सुर्खि यों में आई जब इस खबर के आने के बाद भारतीय स्टेट बैंक ने अपने छ: लाख एटीएम-डेबिट कार्ड्स को ब्लॉ क कर दिया। मीडिया माध्यमों में इस दुर्घट ना से प्रभावित एटीएम-डेबिट कार्ड की संख्या पैंसठ लाख तक बताई गई। मीडिया रिपोर्टों के मुताबि क, चीन के हैकरों ने यह सेंधमारी की है जिससे नि जी एवं सार्वजनि क क्षेत्र के बैंकों के 32 लाख से अधिक डेबिट कार्ड के प्रभावित होने की आंशका है।

डाटा में यह सेंध कुछ एटीएम प्रणालि यों में साइबर मालवेयर हमले के रूप में बताई गई। फि लहाल, मालवेयर नामक वायरस को सेंधमारी का कारण माना जा रहा है। इस घपले के बाद एटीएम-डेबिट कार्ड का क्लो न बना कर देश व विदेशों से पैसों की नि कासी या ऑनलाइन खरीदारी की बात सामने आई तथा विदेश में सबसे ज्या दा क्लो न कार्ड्स के इस्तेमाल का मामला चीन में रिकार्ड किया गया। इस घटना के बाद सरकार एवं बैंक दोनों ही ग्राहक की सुरक्षा को लेकर सतर्क हो गए हैं तथा एहतियाती कदम के रूप में सभी प्रभावित बैंकों ने संदेहास्पद एटीएम-डेबिट कार्डों पर रोक लगा दी तथा ग्राहकों को इनके इस्तेमाल से पहले अपना पासवर्ड बदलने की सलाह दी। नोटबंदी की वजह से मीडिया माध्यमों
ने इस घटना को उतनी तवज्जो नहीं दी परंतु इस घटना ने भारत में वित्तीय सुरक्षा के लि ए चेतावनी का संकेत जरूर दे दिया है तथा बैंकिंग उ ाेग को इससे नि पटने का समय भी दिया है। आमतौर पर विश्व के अधिकतर वित्तीय संस्था नों की प्लास् टिक मुद्रा से जुड़ी शर्तों में धोखाधड़ी का शि कार होने पर मुआवजा देने की व्यवस्था नहीं होती हैं। साथ ही ग्राहक भी ऐसी सुविधा लेने के समय बैंक ारा प्रभारित शर्तों को ठीक से पढ़ते तक नहीं है।

परंतु, भारत में स्थि ति इतनी बुरी नहीं है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 11 अगस्त, 2016 को जारी अपने एक परिपत्र (सर्कु लर) में साफ तौर पर कहा है कि यदि किस ी बैंक की सूचना प्रौाेगि की की कमजोर सुरक्षा प्रणाली की वजह से कोई ऑनलाइन धोखाधड़ी होती है, तो उसकी जवाबदेही ग्राहक की न होकर संबंधित बैंक की होगी और धोखाधड़ी की भेंट चढ़ ी राशि का हर्जा ना बैंक को पीड़ि त ग्राहक को देना होगा। परंतु, इस प्रकार की सूचना ग्राहक को तीन दिनों के भीतर बैंक को देनी होगी। प्लास्टिक मुद्रा के प्रयोग से जुड़े खतर े : आलेख में ऊपर दिए गए आंकड़ों से स्पष्ट है कि प्लास् टिक मुद्रा का चलन सीमि त वर्ग तक है। पर, इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि इन कार्डों की लोकप्रि यता धीरे-धीरे बढ़ रही है तथा ये कार्ड भविष्य की जरूरत है। इन कार्डों के बढ़ते प्रयोग से जहां एक ओर कार्डधारकों को अनेक प्रकार की नई बैंकिंग सुविधाएं प्राप्त हुई हैं वहीं दूसरी ओर कई बार उन्हें नए प्रकार के खतरों का भी सामना करना पड़ता है। हालांकि, हमारे देश में इन खतरों से नि पटने हेतु बैंकिंग लोकपाल, उपभोक्ता फोरम, अदालतें एवं साइबर सुरक्षा कानून आदि हैं। भारत में कार्ड धोखाधड़ी की वारदातें अरसे से होती आ रही हैं। लि हाजा, इन फोरमों में ऐसे मसलों पर ही ग्राहकों की शि कायतों की सुनवाई ज्या दा की जाती है। बैंकिंग लोकपाल के आंकड़ों के मुताबि क, बैंकिंग लोकायुक्त के पास सबसे ज्या दा शि कायतें एटीएम-डेबिट कार्ड से संबंधित आती हैं। इसमें शामि ल है एटीएम मशीन से पसेै नहीं नि कलने, कार्ड की क्लोनि गं , एटीएम- डेबिट कार्ड के पास में रहने के बावजूद पैसे की नि कासी हो जाने जैसी शि कायतें सबसे अधिक दर्ज की जाती हैं।

कई बार लोगों के खाते से बि ना उनकी जानकारी के पैसे नि कल जाते हैं एवं पीड़ि त ग्राहकों को इसकी भनक तक नहीं लग पाती हैं जो हमारी वित्तीय साक्षरता के स्तर को दिख ाता है। आज भी अधिकांश ग्राहक अपने खातों की विवरणी को नि यमि त रूप से नहीं देख ते है, जबकि लगभग सभी बैंकों ने अनेक तरह के एप्स ग्राहकों को मुहैया करा रखे हैं।
गौरतलब है कि बैंकिंग एप्स की मदद से खातों से जुड़ी अनेक तरह की सूचनाएं हासिल की जा सकती हैं। भारतीय स्टेट बैंक ने हाल ही में ‘एसबीआई  क्वि क’ के नाम से एक ऐसा एप विकसित किया है जिस की मदद से एटीएम कार्ड को बि जली की स्वीच की तरह ऑन व ऑफ किया जा सकता है। अर्था त ् एटीएम से पैसे नि कालने के समय आप एटीएम कार्ड
का स्वीच ऑन कर पैसे नि काल सकते हैं और उसके तुरंत बाद उसके स्वीच को ऑफ भी कर सकते हैं, जिससे धोखाधड़ी से बचा जा सकता है। आज वैश्वि क स्तर पर बैंकिंग प्रणाली ऑनलाइन हो चुकी है और ग्राहकों से जुड़ी तमाम वित्तीय जानकारियां सर्व र में मौजूद हैं, जिस के हैक होने की आशंका हमेशा बनी रहती है,

लेकिन आवश्यक सावधानी बरत कर इस तरह की धोखाधड़ी से बचा जा सकता है। देख ा जाए तो दिनचर्या के सारे काम करते समय हम सावधानी बरतते हैं। खाना बनाने से लेकर सड़क पार करने तक में सावधानी बरतने की जरूरत होती है, लेकिन वित्तीय मामलों में आज भी अधिकांश भारतीय नि रक्षर है। बड़ी- बड़ी डिग्रि यां हासिल करने वाले लोग भी एटीएम का इस्तेमाल करना नहीं जानते है, जबकि एटीएम का इस्तेमाल कैसे करें, क्या -क्या सावधानि यां बरतें, तमाम जानकारियां एटीएम कार्ड के साथ संलग्न विवरण पुस्ति का में दी हुई रहती हैं। लेकिन कोई भी इसे पढ़ने की जहमत नहीं उठाता। इतना ही नहीं, एटीएम मशीन के केबि न की दीवारों में भी तमाम जानकारियां व एहतियात बरतने के नुस्खे पोस्टरों में लिखे रहते हैं। वर्तमान में लोग अपने एटीएम कार्ड को दोस्त, रिश्ते दार आदि को देने से नहीं हिच कते है। पॉइंट ऑफ सेल में भी इसका बेहिच क इस्तेमाल करते हैं। ई-कॉमर्स में इजाफा होने के बाद से ग्राहक इंटरनेट के जरिए ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं, परंतु इस क्रम में किस प्रकार की सावधानि यां उन्हें बरतनी चाहि ए इससे वे अनजान हैं। यथा, मोबाइल नंबर अंजान व्यक्ति यों के साथ साझा करते वक्त हम सभी को सावधानी रखनी चाहि ए। उदाहरण के लि ए आज भारत के बाजारों में चीन के मोबाइलों का कब्जा है,

जिनकी सुरक्षा प्रणाली कमजोर होती हैं एवं ऐसे मोबाइलों से डेट ा चुराना आसान होता है। प्लास् टिक मुद्रा से संबंधित धोखाधड़ी की परिभाषा अगर मूल रूप में तय की जाए तो इसमें शामि ल है, प्रथम–खो गए अथवा चोरी किए कार्डों के ारा; ि तीय- नकली या क्लो ऩ किए गए कार्डों ारा आर्थि क लाभ के लि ए किस ी व्यक्ति की नि जी पहचान सूचना का अधिग्रहण तथा इसका इस्तेमाल करना। व्यक्ति की पहचान से संबंधित जानकारी की चोरी ारा, आर्थि क लाभ के लि ए किस ी व्यक्ति की नि जी पहचान की सूचना के अधिग्रहण ारा व्यक्ति के ऐप्लि केशन की जालसाजी तब की जाती है, जब कोई अपराधी किस ी चुराई या नकली दस्ता वेजों के जरिए किस ी अन्य व्यक्ति के नाम से खाता खुलवाता है। अपराधी यूटीलिट ी बि ल तथा बैंक विवरणी चुराने की कोशि श कर आपकी जरूरी जानकारी हासिल कर लेते हैं। खाते के अधिग्रहण में किस ी अन्य व्यक्ति के खाते पर अपराधी अधिग्रहणारा अधिकार कर लेता है, जिस के लि ए पहले तो वह ल ियत व्यक्ति की जानकारी इका करता है, और कार्ड जारी करने वाले से उसी व्यक्ति के रूप में संपर्क करता है और उससे सभी पत्राच ार को नए पते पर भेजने का अनुरोध करता है। तब वह व्यक्ति कार्ड के खो जाने की सूचना देता है और वह उससे नए कार्डों को भेजने की मांग करता है। कार्ड की धोखाधड़ी में अवैध तरीके से किस ी अन्‍य व्‍यक्ति के क्रेडिट /डेबिट कार्ड से वस्‍तु या सेवा प्राप्‍त करना शामि ल है।

कार्ड धोखाधडी के अन्‍य तरीकों में शामि ल हैं, जैसे, कार्ड की कॉपी नि काल कर, किस ी साधारण नि यमित व्‍यवहार के समय 'स्किमिगं 'ारा, जिस में एक अत्यं त छोटे से उपकरण पर असली कार्ड को गुजार कर कार्ड पर लिख ी सूचनाओं की चोरी की जाती है, कार्ड चोरी एवं डाक या कूरियर में ही इसके साथ हस्‍तक्षे प करके तथा अन्य कुटि ल माध्यमों ारा धोखाधड़ी की जा सकती है। फिशि गं विशेष त: ई-मेल स्‍पूफि ंग या तत्‍का ल संदेश के साथ की जाती है जिस के ारा यूज़रनेम, पासवर्ड एवं क्रेडिट कार्ड की जानकारी जैसा, विवरण इलेक्‍ट्रॉनि क कम्‍युनि केशन की मदद से चुराया जाता है एवं इसमें यूजर को वैध लगनेवाली एक अवैध वेबसाईट की ओर निर् देशि त किया जाता है। स्किमि गं में चोर अपने शि कार के क्रेडिट कार्ड का नंबर रसीदों की नकल कर या और अधिक विकसित तरीकों से जैसे एक छोटा-सा इलेक्‍ट्रॉनि क उपकरण (स्कि मर) के प्रयोग ारा सैकड़ों क्रेडिट कार्ड नंबर अपने पास संग्रहि त कर सकत े हैं। स्किमि गं होटल, शॉपि गं मॉल या ऐसी जगह जहां आपके कार्ड को आपकी नजरों से कुछ समय के लि ये दूर किया जाता है, वहां संभव है।

इसके अतिरिक्त, सोशल इंजिनि यरिगं में ‘विशि गं ’ जैसे धोखाधड़ी के तरीके अपना कर यथा, वॉयस ओवर आइपी (वीओआईपी) द्वा रा समर्थि त फीचरों का इस्तेमाल कर नि जी तथा वित्तीय जानकारी प्राप्त की जाती है और उसका दुरूपयोग किया जाता है। सोशल इंजीनि यरिंग में धोखाधड़ी करनेवाला पहले कर्मच ारी होने का नाटक कर ग्राहक का विश्‍वास जीतता है। सोशल इंजीनि यरिंग के माध्यम से ही अपराधी एटीएम पर स्कैनि गं यत्रं यानि स्कि मर का उपयोग कर के कार्ड की सारी जानकारी चुरा लेते हैं। स्कैं नि ग के माध्यम से धोखेबाज सारी जानकारी और पि न नंबर मि ल जाने पर डुप्ली केट कार्ड बनाकर एटीएम से पैसा नि कालते हैं या खरीदारी करते हैं। इस प्रकार सोशल इंजीनि यरिंग से बचने हेतु सतर्क रहना ही एकमात्र विकल्प है।

प्लास्टिक मुद्रा की धोखाधड़ी से बचाव हेतु सुझाव

अगर प्रयोक्ता सचे त एवं सतर्क रहें एवं बैंकिंग तकनीक में नि त नए हो रहे बदलावों से अपने को अतन रखें तो ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों ही प्रकार की ठगी या धोखाधड़ी से काफी हद तक बचा जा सकता है।

• इसकी प्रारंभि क शुरूआत के रूप में प्रयोक्ता को
यह सुनिश्चि त करना चाहि ए कि बैंक से प्राप्त होने वाला किस ी भी प्रकार का लि फाफा(कवर) पूरी तरह से सीलबंद हो और उस पर किस ी भी प्रकार का फाड़ने या चिपकाने का नि शान न हो, विशेष रूप से जब कार्ड संबंधित चीजें प्राप्त होने वाली हों।
• कार्ड प्राप्ति के बाद तुरंत उस पर अपना हस्ताक्ष र कर दें। कार्ड के आखिरी तीन नम्बर को सदैव कवर करने की कोशि श करें।
• ख ाते के लेन-देन विवरण की जानकारी लेने हेतु अपने मोबाइल नम्बर रजिस्टर्ड करा लें तथा  मोबाइल नंबर में किस ी भी प्रकार का बदलाव होने पर बैंक को तुरंत सूचित करें।
• वेंडर ारा कार्ड स्वा इप करते वक्त उस पर पैनी नजर रखें। कभी भी क्रेडिट कार्ड की खाली रसीद पर हस्ताक्ष र न करें। खाली स्था न पर एक लाइन खींच लें ताकि वहां किस ी प्रकार की अतिरिक्त जानकारी न लिख ी जा सके।
• जब लेनदेन के लि ए दो बार पि न मांगा जाए तो लेनदेन को तुरंत रद्द कर दें। हमेशा किस ी भी कैमरे से बचने हेतु की-पैड को कवर करें और आसपास के लोगों की मदद लेने से परहेज करें।
• निश्चि त अंतराल पर अपने एटीएम कार्ड का पासवर्ड बदलते रहना चाहि ए। वित्तीय कार्यों  हेतु यथासंभव अपने बैंक की एटीएम मशीन का इस्तेमाल करने की कोशि श करनी चाहि ए।विशेष रूप से उस एटीएम का जोकि बैंक शाखा से जुड़ा हो और वहां वैध सुरक्षा गार्ड हो।
• एटीएम का उपयोग करने से पहले मशीन में किस ी भी तरह की आशंका, परिवर्तन और क्षति के संकेत की जाचं करें। वहां स्कीमि गं डिवाइस लगा हो सकता है।
• किस ी भी प्रकार की गड़बड़ी या धोखाधड़ी का पता चलने पर तुरंत अपने एटीएम कार्ड को टोल फ्री नंबर पर फोन करके ब्लॉ क कराएं तथा इसकी शि कायत बैंकिंग लोकपाल व पुलिस से भी करें।
• कार्ड के खो जाने या खाते अथवा कार्ड की जानकारी जाहि र हो जाए तो टोल फ्री हेल्पलाइन पर कार्ड को तुरंत ब्लॉ क करा दें।
• एकदिवसीय आयोजन/कार्यक्र म जैसे, खेलकूद गतिविधियां, त्यो हार, सेमि नार, कार्यशाला, मेला एवं प्रदर्शनी आदि में मुहैया कराई गई अस्था यी वित्तीय सुविधाओं के उपयोग से बचा जाना चाहि ए।
• स ार्वजनि क वाई—फाई माध्यमों में इंटरनेट बैंकिंग का उपयोग न करें।
• होटल, रेस्तरां, पेट्रोल पंप आदि स्था नों में एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करते समय किस ी दूसरे से पासवर्ड साझा न करें।
• बैंक विवरणी(स्टेट मेंट) की नि यमि त रूप से जांच करें तथा किस ी भी अनधिकृत लेनदेन का पता लगते ही तुरंत बैंक को खबर करें। दुकानों या पेट्रोल पंप पर अपने सामने ही कार्ड का
इस्तेमाल करें।
• रिस्तरां /शॉपि गं मॉल में प्रस्तुत किए गए किस ी सर्वे फॉर्म में आप अपनी नि जी जानकारी न भरें।
• अपने एटीएम पि न, सीवीवी या पासवर्ड का खुलासा किस ी से न करें। बैंकों ारा भी इस प्रकार के विज्ञापन जारी किए जाते हैं कि बैंक या क्रेडिट कार्ड फर्म ग्राहकों से फोन या ई-मेल
पर कार्ड का विवरण मांगने के लि ए अधिकृत नहीं हैं। बावजूद, कई बार पढ़े-लिखे ग्राहक भी इसके शि कार हो जाते हैं।
• कार्ड की वैधता समाप्त होने, नया जारी होने पर पुराने कार्ड को काट कर इसके टुकड़े कर दें ताकि इसका दुरूपयोग न किया जा सके। ऑनला इन सावधानी ई-शॉपि गं के लि ए केवल सुरक्षित, स्थापि त और वधै साइट का उपयोग करना ही समझदारी है। जिन साइटों में सिक्यो र सॉ केट लेयर (एसएसएल) हो और जो एचट ीटीपीएस का प्रयोग करती हैं, उन्हीं साइटों
का उपयोग करना चाहि ए।

सिक्यो रिट ी क्लूज़ की पहचान, जैसे- आपके ब्राउजर के सबसे नीचे लॉक इमेज, यूआरएल का आरंभ https: से होना चाहि ए। ऐसे संकेतों से पता चलता है कि आपकी खरीद को एंक्रि प्शन के साथ सुरक्षित किया गया है और आपके खात े की जानकारी सुरक्षित है। अर्था त ् लेन-देन एवं खरीदारी हेतु केवल सुरक्षित वेबसाइट का इस्तेमाल
करें। किस ी भी साइट पर कार्ड के विवरण को सेव करने के लि ए यदि पूछा जाए तो उस पर कदापि  क्लि क न करें। साथ ही, साइट के पेमेंट वेरीफि केशन टूल्स, जो पेमेंट को सत्यापि त करता है, पर भी सतर्कता से नजर रखनी चाहि ए। आप उसी मर्चेंट या शॉप में खरीदारी करें जिन्हें आप जानते हैं और जिन पर आपको भरोसा हो। अपने क्रेडिट /डेबिट कार्ड
से खरीदारी करने के बाद उस वेबसाइट से लॉग- ऑफ हो जाएं और ब्राउजर कुकीज़ को डिलीट कर दें।

ऑनलाइन माध्यमों में नि जी जानकारी प्रदान करते समय सावधान रहें। कम्प्यूटर और स्मार्ट फोन से बैंकिंग करत े वक्त सावधानी कम्प्यूट र और स्मार्ट फोन में सदैव एंटी वायरस सॉ फ्टवेयर डालकर रखें, ताकि किस ी भी प्रकार के मालवेयर से बचा जा सके। आज कई ऐसे ऐप हैं जो मोबाइल चोरी हो जाने के बाद भी दूर से ही डेट ा खत्म कर देते हैं। ऐसा कोई ऐप स्मार्ट फोन में इंस्टॉल करना अच्छा होता है ताकि संभावित खतरों से बचा जा सके। बैंक में मोबाइल और ई-मेल अलर्ट अपडेट करके रखें ताकि कोई ट्रां जेक्शन हो तो तुरंत पता चल सके। सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन खातों में लॉग-आउट करना भी खाते की सुरक्षा के लि ए अत्यं त जरूरी है। मोबाइल फोन पर गोपनीय पासवर्ड रखने से परहेज करना चाहि ए। कार्ड धोखाधड़ी से बचने के लि ए नि यमि त रूप से पासवर्ड बदलते रहना भी फायदेमंद रहता है। सभी ई-मेल संदेशों को ध्या न से देख ें ताकि आपको फिशि गं स्कैम का पता लग जाए। ऐसे किस ी मेल का जबाव न दें जिस में आपसे आर्थि क जानकारी समेत आपकी नि जी जानकारी मांगी गई हो। क्योंकि बैंक कभी ऐसी जानकारी आपसे नहीं मांगता। भुगतान  जानकारी कभी-भी ई-मेल के जरिए न भेजें। इंटरनेट (जैसे कि ई-मेल) से भेजी जाने वाली सूचना हमेशा पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होती; कोई भी तीसरा पक्ष इन्हें पढ़ सकता है।

प्रमोशनल स्कैम से सावधान रहें। पहचान की चोरी के लि ए आपसे फोन पर नि जी जानकारी मांगी जा सकती है और सबसे ज्या दा जरूरी कि अपने पासवर्ड को सदैव गोपनीय रखें। कुछ ऑनलाइन स्टो र यूज़रनेम तथा पासवर्ड के साथ रजिस्टर करने की मांग करते हैं। ऑनलाइन पासवर्ड को दूसरों से छुपा कर दें, उसी प्रकार आप एटीएम पासवर्ड को भी दूसरों से सुरक्षित रखें। नेट बैंकिंग के लि ए सदैव वर्चुअल की-बोर्ड का इस्तेमाल करें। इसके अलावा, यदि अपने प्लास् टिक मुद्रा कार्ड को धोखाधड़ी से बचाने हेतु हम नि म्न रेडी रेकनर का इस्तेमाल करें, तो बहुत हद तक अपने कार्ड को सुरक्षित बना सकते हैं। ऐसा करें
• एटीएम का इस्तेमाल करने से पहले आप यह देख लें कि इंसर्श न पैनेल पर किस ी प्रकार की दसू री वस्तु न रखी हो (स्किमि गं से बचने हेतु)।
• ट्रां जैक्शन के समय एटीएम पि न नम्बर को हथेली से छुपा दें। ट्रां जैक्शन रसीद न छोड़ें।
• अपने एटीएम पि न को हर तीन महीने पर बदल दें।
• केवल ऐसे ही क्रेडिट कार्ड को साथ में रखें जिनकी आपको ज्या दा आवश्यकता हो।
• अपने घर को बदलने से पहले ही अपने कार्ड निर्ग तकर्ता (जारीकर्ता ) को पता बदलने की सूचना दे दें। ऐसा न करें
• अपना कार्ड नंबर एवं पि न किस ी को न दें, भले ही वह अपनी पहचान बैंक के कर्मच ारी के रूप में बताए।
• किस ी अजनबी व्यक्ति ारा एटीएम मशीन में आपको मदद करने की पेशकश के बहकावे में आने से बचें। किस ी अज्ञात/अवैध स्रोत के साथ आप अपने खाते के विवरण को साझा न करें।
• किस ी सार्वजनि क स्था न में स्थि त किस ी शेयर्ड या असुरक्षित कम्प्यूट र से आप नेट -बैंकिंग एक्सेस न करें अथवा वहां अपने क्रेडिट /डेबिट
कार्ड से भुगतान न करें।
• किस ी अनपेक्षित स्रोत से आए अजनबी ई-मेल अटैचमेंट को न खोलें या इन्स्ट ेंट मैसेज डाउनलोड लि कं पर क्लि क न करें। किस ी भी संदेहास्पद ई-मेल को तुरंत डिलीट कर दें।
• अपनी खाता संख्या की जानकारी किस ी को फोन पर तब तक न दें, जब तक कि आप कॉल करके सुनिश्चि त न कर लें कि अमुक कंपनी प्रतिष्ठि त है और उसे यह जानकारी देनी चाहि ए। जब आपको कोई फोन कॉल आए और क्रेडिट कार्ड का विवरण मांगा जाए तो आप उसे कोई जानकारी न दें (इसे विशि गं कहत े हैं।)।
• किस ी भी ई-मेल में अपने खाते से संबंधित मांगी गई कोई भी गोपनीय सूचना जैसे कि- पासवर्ड, कस्टमर आइडी, डेबिट कार्ड नम्बर, पि न, CVV2, DOB की जानकारी कभी न दें,
भले ही वह ई-मेल किस ी भी सरकारी प्राधिकारों जैसे कि आयकर विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक या वीजा या मास्टर कार्ड से जुड़ी किस ी कंपनी का ही क्यों न हो।
• अपने बैंक खाते से जुड़ी किस ी समस्या या खाते के विवरण तथा पासवर्ड आदि किस ी सोशल नेट वर्क िं ग साइट या ब्लॉ ग पर नहीं दें। कुछ सुझाव कार्ड की धोखाधड़ी से बचाव हेतु कार्ड जारीकर्ता ओं, सरकार एवं नि यामक संस्था ओं तथा कार्ड धारकों ारा किए जाने वाले उपाय :- कार्ड जार ीकर्ता ओं ारा किए जाने वाल े उपा य -
• धोखाधड़ी की छानबीन एवं रोकथाम हेतु सॉ फ्टवेयर लगाना जो ग्राहक के सामान्य एवं असामान्य व्यवहार का विश्लेष ण करें एवं संभावित धोखाधड़ी से बचने हेतु लेन-देन पर
नजर रखें।
• कार्डधारक ारा सत्या पन न किए जाने तक कार्ड को ब्लॉ क रखना ।
• कार्ड लेनदेन के सुदृढ अधिप्र माणन (Authentication) संबंधी सख्त उपाय, जैसे कि कार्डधारक से खाता नंबर, पि न, जिप नंबर, व्यक्ति गत प्रश्न आदि पूछना तथा इस तथ्य
का सत्या पन करना कि लेनदेन कार्डधारक ारा ही किया गया है तथा इसकी पुष् टि टेक्स्ट संदेश, फोन कॉल या सुरक्षा टोकन डिवाइस जैसे परिच ित या विश्वस्त माध्यमों से ही हुई है।
• स भी ज्ञात एवं संभावित धोखेबाजों की सूचनाओं का आदान-प्रदान संपूर्ण उ ाेग स्तर पर हो। सरकार एवं नि यामक संस्थाओं तथा व्यापा रियों ारा किए जानेवाल े उपा य-
• कार्ड धोखाधड़ी से ग्राहक को बचाने हेतु सशक्त कानून व्यवस्था ।
• डेबिट कार्ड/क्रेडिट कार्ड/गि फ्ट कार्ड कंपनि यों की कार्य-प्रणाली एवं जोखिम क्षमताओं का नि यमि त नि रीक्षण।
• कार्ड धारकों के हि तों की रक्षा हेतु आवश्यक दिशानिर् देशों का प्रकाशन एवं धोखाधड़ी की गतिविधियों की नि गरानी। कार्ड धार कों ारा किए जानेवाल े उपा य
• गुम हुए या चोरी हुए कार्ड की तत्का ल सूचना देना ।
• अनधिकृत लेनदेनों की त्वरित रिपोर्ट िंग।
• अपना खाता नंबर, कार्ड समाप्त होने की तारीख तथा संबंधित कंपनी का फोन नंबर और पता सुरक्षित स्था न पर दर्ज करके रखना।

उपसंहार

इस प्रकार हम देख ते हैं कि तकनीकी रूप से कार्ड धोखाधड़ी रोकने हेतु कई सारे उपाय सृजित किए गए हैं। बावजूद इसके धोखाधड़ी की संख्या दिन- प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। ऐसे समय में, इन उपायों के साथ ही देश में एक कठोर कानून बनाने की भी आवश्यकता है। ध्या न से अगर देख ें तो यह कड़वा सच सामने आता है कि इस अपराध से भारतीय कानून अंजान है। इसे सूचना प्रौोगि की अधिनि यम के दायरे तक सीमि त कर दिया गया है। जिस का नतीजा है कार्ड धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाएं। 

हालांकि, कार्ड धोखाधड़ी से बचाव एवं नकदी रहि त अर्थव्यवस्था में इस विकल्प की बेहतर भूमि का हेतु समय-समय पर सरकार बैंकों को त्वरित कार्रवाई करने का निर् देश देती रहती है। इसी दिशा में सरकार ारा ओटीपी के माध्यम से एटीएम में जालसाजी रोकने हेतु नि वारक उपाय अपनाने पर विच ार किया  जा रहा है। साथ ही कें द्र सरकार डेबिट कार्ड के जरिये बैंक ग्राहक के खाते में सेंध लगाने की कोशि शों को वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) द्वा रा सुलझाने पर भी विच ार कर रही है। इस व्यवस्था में एटीएम के जरिये कोई भी लेन-देन एक ही बार होगा और अगली बार पासवर्ड बदल जाएगा। इस व्यवस्था में पासवर्ड मोबाइल के जरिये ग्राहक को प्राप्त होगा। अगर यह व्यवस्था लागू हो गई तो यह अत्यं त क्रां तिकारी साबि त होगा। इसके अतिरिक्त कें द्र सरकार ारा देश में बैंकिंग सेवाओं को बढ़ाने और ग्राहक सुविधा सुधारने की कवायद में भौगोलि क सूचना प्रणाली मानचित्रण (जी.आई.एस. मपिै गं ) की भी तैयारी की जा रही है। इसके माध्यम से विभि न्न पहलुओं पर बैंकों से रोजाना की जानकारी मि लेगी।

साथ ही शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं की पहुंच के बारे में भी जानकारी मि लेगी। अंत में धोखाधड़ी से बचाव हेतु एकमात्र सूत्र वाक्य है - बैंक सुरक्षा व तकनीक पर बढ़ाएं नि वेश, ग्राहक सावधानी बरतें। उदाहरण के लि ए, डेट ा हैकिंग को लि या जा सकता है। डेट ा हैकिंग के लि ए एक प्रवेश बि दं ु की जरूरत होती है, जो कई बार ग्राहक लापरवाही बरतते हुए उपलब्ध करा देता है। इससे बचने के लि ए उपभोक्ता ओं को एटीएम, क्रेडिट कार्ड व नेट बैंकिंग पासवर्ड किस ी को नहीं देना चाहि ए और समय-समय पर इसे बदलते भी रहना चाहि ए और  ये ऐसा नहीं होना चाहि ए कि कोई भी इसका अंदाजा लगा सके। कार्ड के पीछे मैग्नेट चिप होती है, जिस पर खाता संबंधी सारी जानकारी होती है। इसलि ए इस पर डबल आइडेंटिफि केशन होनी चाहि ए। नेट बैंकिंग उपभोक्ता ओं को डेट ा चोरी रोकने लि ए सबसे ज्या दा कदम बैंक स्तर पर उठाए जाने चाहि ए। ग्राहकों को ऑनलाइन लेनदेन सुरक्षित वेबसाइट के जरिये करना चाहि ए। बैंकिंग में इलेक् ट्रॉनि क लेनदेन सिस्टम एक स्विच के माध्यम से होता है। हैकर इसी स्वीच को हैक कर बैंक ग्राहकों की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। इसलि ए बैंकों को प्रत्येक लेनदेन का एसएमएस अलर्ट ग्राहकों को भेजना चाहि ए। स्विच प्रबंधनकर्ता या स्विच सुरक्षा प्रबंधक को किस ी खाते में सामान्य के मुकाबले अचानक अधिक लेनदेन होने पर सतर्क रहना होगा। उसे इसकी जांच कर यह सुनिश्चि त करना चाहि ए कि कहीं हैकिंग तो नहीं हुई है? 

बैंकों में इस समय 30 फीसदी से ज्या दा लेन-देन ऑनलाइन हो रहे हैं। भविष्य में ऑनलाइन लेनदेन में और इजाफा होने वाला है। ऐसे में बैंकों को तकनीक और सुरक्षा पर नि वेश बढ़ाना होगा। बैंकों ने इस पर काफी कम नि वेश किया हुआ है। जबकि यह भविष्य की बैंकिंग है। ऐसे में, इस प्रकार के नि यम बनने चाहि ए जिस में बैंकों को उनके कारोबार का निश्चि त हि स्सा सुरक्षा एवं तकनीक पर नि वेश करने का प्रावधान हो। फि र भी इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि कार्ड संबंधित धोखाधड़ी एवं गड़बड़ी पूरी दुनि या की समस्या बन चुकी है। ऐसे में इस समस्या से नि पटने की तुरंत जरूरत है और इसके लि ए सबसे बड़ी जरूरत है कि डाटा के रूप में मौजूद सूचना के संरक्षण पर पूरा ध्या न दिया जाए।

एटीएम-डेबिट कार्ड की डेट ा चोरी बैंकों की तकनीकी सुरक्षा प्रणाली की कमी को जरूर दर्शा ती है, लेकिन इससे ग्राहकों को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारतीय बैंकों की सुरक्षा प्रणाली अत्यं त मजबूत है। ग्राहकों का भी दायि त्व है कि धोखाधड़ी के प्रति ज्या दा जागरूक व सतर्क रहें तथा बैंकिंग क्षेत्र में आए दिन हो रहे तकनीकी बदलावों से अपने को अतन रखें तथा बैंक ारा बताई जा रही सावधानि यों का भी अनुपालन करें। नि ष्कर्ष तः ‘’यह हमारा कर्तव्य है कि इसे धोखाधड़ी करने वालों के लि ए अतिस ंवेदनशील स्थि ति में न छोड़ दें।‘’ सावधान एवं जागरूक रहना ही एकमात्र उपाय है।​

Courtesy:  डॉ. साकेत सहाय * वरिष्ठ प्रबंधक (राजभाषा) ओरियन्टल बैंक ऑफ कॉमर्स