बैंकिंग परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स (Current Affairs For Banking Exams) 16 August, 2013
बैंकिंग परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स (Current Affairs For Banking Exams)
16 अगस्त 2013
तो नंबर 3 ने बर्बाद कर दी एक महान टीम की हैसियत
दशकों के अपने सुनहरे दौर के बाद आज कंगारू टीम उस कगार पर है जहां उसकी तुलना बांग्लादेश जैसी टीमों से की जाने लगी है। जिस टीम के सामने हर विरोधी टीम कभी थर्राया करती थी आज वही टीमें उस ऑस्ट्रेलियाई टीम को आंखें दिखाती हैं। वहीं, मौजूदा एशेज सीरीज में जो कुछ हो रहा है उससे थोड़ी बहुत बाकी इज्जत भी इस टीम ने गंवा दी। वैसे कंगारू टीम के बल्लेबाजी क्रम में एक ऐसा खोट पैदा हो गया है जो शायद उनकी असफलता का इस समय सबसे बड़ा कारण बना हुआ है। क्या है यह चूक, आइए जानते हैं..
वह ऑस्ट्रेलियाई टीम जो कभी अपने टॉप ऑर्डर के दिग्गज रूप के लिए जानी जाती थी वह आज बल्लेबाजी में एक ऐसे क्रम पर संघर्ष कर रही है जिसके बारे में कभी किसी ने सोचा तक नहीं था। यह क्रम है नंबर तीन का। जी हां, तीसरे नंबर पर कंगारू टेस्ट टीम में हमेशा टीम का सबसे इन फॉर्म और शानदार बल्लेबाज रहा है, इयन चैपल से डेविड बून तक और जस्टिन लैंगर से लेकर रिकी पोंटिंग तक हमेशा इस नंबर पर एक ऐसा दिग्गज रहा जिसने विरोधी गेंदबाजों के पसीने छुड़ाए लेकिन क्या आपको पता है कि ऑस्ट्रेलिया की पिछली 48 टेस्ट पारियों में इस नंबर पर एक भी शतक देखने को नहीं मिला है...आज तक किसी भी टीम ने इस नंबर पर इतना लंबा सूखा नहीं देखा है। ना तो 1880 में ऐसा हुआ जब खतरनाक पिचों पर कंगारू बल्लेबाज संघर्ष कर रहे होते थे और ना ही 60 के दशक में जब कंगारू बल्लेबाज शुरुआत के लिए तरसते थे, कभी ऐसा नहीं कि नंबर तीन पर कोई टीम इतना बेबस दिखी हो। विश्व की बाकी दिग्गज टीमों को तो छोड़ दीजिए, जिंबॉब्वे और बांग्लादेश जैसी टीमों ने भी इतना लंबा सूखा कभी नहीं देखा है।
वैसे नंबर 3 पर कंगारू टीम की यह बेबसी यहीं खत्म नहीं होती। 2011 में श्रीलंका के खिलाफ अपने टेस्ट डेब्यू में शॉन मार्श की नंबर तीन 141 रनों की पारी के बाद ना सिर्फ इन स्थान पर शतक का सूखा रहा है बल्कि 48 पारियों में 11 बार खिलाड़ी शून्य पर भी आउट हुए हैं। आपको बता दें कि किसी भी स्थान पर, किसी भी टीम से इतने समय में इतने शून्य के स्कोर देखने को नहीं मिले हैं। इस नंबर पर पोंटिंग के बाद वॉटसन को आजमाया गया, फिर उन्हें हटाकर रॉब क्वीनी को देखा गया, फिर उन्हें भुला दिया गया और एक बार फिर वॉटसन को बुलाया गया, इसके बाद फिलिप ह्यूंग्स को मौका दिया गया, यही नहीं, मौजूदा कप्तान माइकल क्लार्क ने भी भारतीय दौरे पर इस स्थान पर एक बार किस्मत आजमाई, फिर एड कोवन को इस स्थान पर देखा गया और अब उस्मान ख्वाजा को दोबारा इस स्थान पर लाया गया है। यानी पोंटिंग के बाद लगातार इस स्थान पर तकरीबन 7-8 बार बदलाव किए जा चुके हैं और यही डगमगाता तीसरा नंबर कंगारू के लिए आज सबसे बड़ी मुसीबत बन चुका है।
39.85 लाख में बिका सर डॉन का यह एतिहासिक बल्ला
क्रिकेट इतिहास के सबसे सफल बल्लेबाज व पूर्व ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज सर डॉन ब्रैडमैन बेशक आज दुनिया में ना हों लेकिन उनका रुतबा और पहचान आज भी शीर्ष पर उसी अंदाज में कायम है जैसे कि पहले थी। इसका एक नजारा गुरुवार को मेलबर्न में देखने को मिला जब 1948 में इस्तेमाल किया गया उनका आखिरी बल्ला 65 हजार डॉलर (तकरीबन 39.85 लाख रुपये) में बिका।
टेनिस जगत सन्न, विंबलडन चैंपियन बार्टोली ने अचानक लिया संन्यास
अभी पांच हफ्ते पहले ही फ्रांस की 28 वर्षीय मारियन बार्टोली ने अपने करियर का पहला और टेनिस जगत का सबसे बड़ा खिताब विंबलडन ग्रैंड स्लैम जीतकर दुनिया को हैरत में डाल दिया था लेकिन आज उन्होंने टेनिस जगत को पूरी तरह सन्न ही छोड़ दिया। बार्टोली ने यूएस ओपन से ठीक पहले वॉर्म अप के तौर पर खेले जाने वाले वेस्टर्न एंड सदर्न ओपन के दूसरे दौर में हार मिलते ही अचानक अपने संन्यास की घोषणा कर दी।
भ्रष्टाचारी नहीं लड़ पाएंगे आइओए चुनाव
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आइओसी) ने भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) संविधान के लिए जो नया मसौदा भेजा है, उसके मुताबिक अब कोई भी ऐसा व्यक्ति भारतीय ओलंपिक संघ का चुनाव नहीं लड़ पाएगा, जिसके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे हों। 43 पेज के मसौदे में वैश्विक संस्था ने आइओए की चुनाव प्रक्रिया से संबंधित प्रावधानों का निर्धारण करने के अलावा तीन प्रमुख आयोगों का गठन, राष्ट्रीय खेल महासंघों और राज्य ओलंपिक संघों को मतदान का अधिकार और विवादित उम्र व कार्यकाल संबंधित नियमों को भी शामिल किया है।
इन नियमों के लागू होने पर सुरेश कलमाड़ी, ललित भनोट और वीके वर्मा आइओए चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इन सभी के खिलाफ 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार के मामले में आरोपपत्र दायर हो चुके हैं। कार्यकारी परिषद के सदस्यों के चुनावों के संबंध में संविधान के संशोधित मसौदे में कहा गया है कि पदाधिकारी या कार्यकारी परिषद का सदस्य बनने के लिए सदस्य का भारत का नागरिक होना जरूरी है। उसके पास सभी नागरिक अधिकार होने चाहिए। भारत के किसी कोर्ट में उसके खिलाफआरोप नहीं लगे होने चाहिए, जैसे कि आपराधिक या भ्रष्टाचार संबंधी अपराध जिसमें दोषी पाए जाने पर जेल की सजा का प्रावधान हो। आइओए की आम परिषद, कार्यकारी परिषद, समिति या आयोग के किसी सदस्य के खिलाफ आपराधिक या भ्रष्टाचार के मामले में आरोप लगते हैं, तो उसे आइओए से अस्थाई तौर पर निलंबित कर दिया जाएगा और सजा मिलने पर वह बर्खास्त हो जाएगा।